हौसला हो तो जिंदगी में किसी भी कठिन लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। ऐसे ही किसी बीमारी को भी मात दे सकते हैं। बस करना ये है कि परहेज करने के साथ ही नियमित दवा खाएं और दूसरों के भी अधिक संपर्क में नहीं आएं। ऐसी ही मिसाल पेश की है शहर के पंडित नगला के रहने वाले मोहसिन अली ने। मोहसिन अली निर्यात फर्म में पीतल पर वैल्डिंग का काम करते हैं। 2018 नवंबर में उन्हें खांसी शुरू हुई। 20 दिन लगातार खांसी रही तो सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी।
वजन भी पांच किलो कम हो गया। उन्होंने जिला अस्पताल में चेस्ट फिजिशियन से परीक्षण कराया तो पता चला कि टीबी की बीमारी लग चुकी है। फेफड़े भी प्रभावित होने लगे। चिकित्सक ने छह माह का इलाज बताया। उन्होंने कुछ दिन तक काम भी बंद कर दिया। अप्रैल 2019 में इलाज पूरा हो गया। अब उनकी हालत ठीक है। उन्होंने सरकारी दवा पर भरोसा किया और पूरा इलाज भी किया। अब वे खुद दूसरों को टीबी रोग के इलाज के बारे में बताते हैं। ये तो बानगी है पांच साल में मोहिसन अली जैसे 13, हजार 741 मरीज दवा की नियमित खुराक लेने के बाद अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।
ये बोले क्षय रोग अधिकारी
-- टीबी की बीमारी का पूरा इलाज है। इसमें किसी भी मरीज को कोई पैसा नहीं देना होता है। हमारी टीमें निरंतर घर-घर जाकर निगरानी करती हैं। जो मरीज दवा लेने अस्पताल नहीं आ पाते उन्हें दवा उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा एमडीआर मरीजों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। सभी मरीजों को पोषण की खुराक के लिए हर माह पांच सौ रुपये भी दिए जाते हैं, ताकि वो अपने खानपान का भी ख्याल रख सकें।